प्रेरणा शोध संस्थान में हुआ मासिक लेखक मिलन
प्रेरणा शोध संस्थान न्यास नोएडा के द्वारा 12 जनवरी 2025 को मासिक लेखक मिलन आयोजित किया गया। संस्थान में प्रत्येक माह के दूसरे रविवार को यह लेखक मिलन आयोजित होगा। स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर उन्हें स्मरण करते हुए IMT कॉलेज के पत्रकारिता विभाग के डीन प्रो. (डॉ.) अनिल निगम ने स्वामी जी द्वारा 1893 में शिकागो में धर्म, दर्शन, योग और वेदांत पर दिए गए व्याख्यान का उल्लेख करते हुए उन्हें भारतीय ज्ञान परंपरा का अग्रदूत बताया। उन्होंने यह भी बताया कि किस प्रकार से स्वामीजी ने तत्कालीन समय में महिला शिक्षा के माध्यम से महिला सशक्तिकरण के महत्व को समाज में प्रचारित किया। धर्म और समाज सुधार में उनकी दूरदृष्टि अद्भुत थी। उन्होंने कहा कि 19वीं सदी में दिया गया स्वामी जी का संदेश आज 21वीं सदी में भी उतना ही प्रासंगिक है और नया भारत उनके संदेश को लेकर आगे बढ़ रहा है।
इसी माह में 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती
भी है इस अवसर पर उनका स्मरण करते हुए प्रसिद्ध स्तंभ लेखक एवं लोक नीति विश्लेषक शिवेश
प्रताप ने स्वामी विवेकानंद एवं नेताजी सुभाष चंद्र बोस के योगदान का उल्लेख करते हुए
कहा कि तत्कालीन समय में दोनों की दूरदृष्टि ने नए भारत की समस्याओं का समाधान दे दिया
था। जहां स्वामी विवेकानंद ने भारत की शास्त्र परंपरा का चिंतन किया तो वही नेताजी
सुभाष चंद्र बोस ने शास्त्र आधारित भारतीय क्रांति का नेतृत्व किया। दोनों ने भारत
की मानसिक और भौतिक दासता से मुक्ति के प्रयास किए। नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा
महिला रेजीमेंट बनाकर महिला सशक्तिकरण, कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में हरिपुरा अधिवेशन में विकसित भारत की परिकल्पना, प्रवासी भारतीयों को देश की आजादी के लिए एकत्र करना, अपनी आजाद हिन्द फौज में 28 जातीय समूहों को सम्मिलित
करके अंतरजातीय समरसता का उदाहरण प्रस्तुत करना, एशियाई शक्ति के महत्व को समझना तथा जय हिंद उद्घोष के
द्वारा भारत के स्वराज को घोषित करने जैसे महत्वपूर्ण कार्य ने भारतीय युवाओं को चिंतन
की नई दृष्टि दी है।
लेखक मिलन के मुख्य अतिथि भारतीय जनसंचार संस्थान के
प्रो. (डॉ.) प्रमोद कुमार सैनी ने कहा की गुलामी के काल में हमारे ‘स्व’ को बहुत हानि पहुंचाई गई इसलिए हमें अपनी नई पीढ़ी के समक्ष ‘स्व’ का भाव बार-बार स्मरण कराना होगा। उन्होंने बताया कि हमारे ऊपर जबरदस्ती पाश्चात्य
ज्ञान थोपा गया, हमारी अपनी समृद्ध ज्ञान परम्परा रही
है। वेद विश्व के सबसे प्राचीन ग्रंथ हैं, 2600 साल पहले हमारे यहां अभिनय कला और जनसंचार का महत्वपूर्ण
ग्रन्थ नाट्यशास्त्र लिखा गया, 5000 वर्ष पूर्व महाभारत जैसा महाकाव्य लिखा गया, लगभग ढाई हजार वर्ष पूर्व आचार्य चाणक्य ने अर्थशास्त्र जैसा प्रमुख ग्रंथ
लिखा जिसमें अनेक विषयों का वर्णन है। उन्होंने
एक दशक पूर्व आये लातूर जिले के जल संकट का उदाहरण देते हुए बताया कि यदि सर्वसमाज
एक साथ आ जाए तो बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान कैसे निकल आता है। उन्होंने राष्ट्रीय
स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष में संघ के पांच संकल्पों पर भी प्रकाश डाला और नई पीढ़ी
के समक्ष रखे जाने वाले विभिन्न विषयों की जानकारी के लेखन की आवश्यकता बताते हुए लेखकों
से उस दिशा में कार्य करने का आह्वान किया।
लेखक मिलन
में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के 50 से अधिक लेखकों ने सहभागिता की।
इस अवसर पर नोएडा विभाग के संघचालक सुशील कुमार जी, उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड के प्रचार
प्रमुख कृपाशंकर जी,
मेरठ प्रान्त
के प्रचार प्रमुख सुरेन्द्र जी, मेरठ प्रांत स्तंभ लेखक प्रमुख डॉ. प्रदीप कुमार जी, डॉ. अनिल त्यागी जी, डॉ. मनमोहन सिसोदिया जी, अखिलेश जी और
मोनिका चौहान जी उपस्थित रहे।