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इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में नाट्य शास्त्र के रचियता भरत मुनि की मूर्ति का अनावरण

गुरु पूर्णिमा व इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के कलाकोश विभाग के प्रतिष्ठा दिवस के अवसर पर (आईजीएनसीए) में नाट्य शास्त्र के रचियता भरत मुनि की मूर्ति का अनावरण केंद्र की ट्रस्टी व राज्य सभा सांसद पद्म विभूषण डॉ सोनल मानसिंह द्वारा केंद्र के अध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार श्री राम बहादुर राय, डॉ भरत गुप्त, डॉ पद्मा सुब्रह्मण्यम, डॉ सच्चिदानंद जोशी, कला मनीषियों व विद्वानों की उपस्थिति में किया गया।सुविख्यात नृत्य विदुषी डॉ. पद्मा सुब्रह्मण्यम् ने ध्यानावस्था में भरतमुनि के एक अलौकिक विग्रह का दर्शन पाया था। यह प्रतिमा उसी संकल्पना का मूर्त्त रूप है। जिसे श्रीमती टी. एन. रत्ना तथा श्री एस. वेंकटरमण भट्ट ने मूर्त्त रूप प्रदान किया है।केंद्र के कलाकोश विभाग के प्रतिष्ठा दिवस के अवसर पर प्रति वर्ष की भांति केंद्र द्वारा प्रकाशित 7 पुस्तकों ‘जैमनीय ब्राह्मण’, ‘जायसेनापति विरचित नृत्यरत्नावली’, ‘द सिलिंग्स ऑफ इंडियन टैम्पल’, ‘देश कबीर का’, ‘संजारी: एक भारत श्रेष्ठ भारत’, ‘कलाकल्प-पत्रिका’ व ‘ऐस्थेटिक टेक्चर: लिविंग ट्रेडीशन ऑफ द महाभारत’ का विमोचन भी किया गया, साथ ही एक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन भी किया गया था जिसे कर्नाटक संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 मल्लापुरम जी. वेंकटेश ने दिया, इसके अंत में दीप्ति ओमचरी भल्ला एवं उनके शिष्यों द्वारा मोहिनीअट्टम की शानदार प्रस्तुति दी गयी।भरतमुनि नाट्य शास्त्र के प्रणेता हैं तथा ये भारतवर्ष सहित समूचे दक्षिणपूर्व एशिया में नृत्य] संगीत, रंगकर्म, सौन्दर्यशास्त्र, काव्यशास्त्र, शिल्प एवं वास्तु सहित नाट्यकला के आदिगुरु के रूप में समादृत हैं। नाट्यकला एवं सम्बद्ध विषयों पर उपलब्ध साहित्य में उनके द्वारा प्रणीत नाट्य शास्त्र, अब तक का प्राचीनतम ग्रन्थ है।यह प्रतिमा दिव्य शक्तियों का एक अद्भुत संयोग है। वैष्णव मुद्रा विष्णु का प्रतिनिधित्व करती है, उनके बायें हाथ में डमरू शिव का प्रतिनिधित्व करता है तथा उनके निचले दाहिने हाथ की चिन्मुद्रा ब्रह्मा का प्रतिनिधित्व करती है। वीणा थामे उनके दायें हाथ की मुद्रा सरस्वती का प्रतिनिधित्व करती है। दायें एवं बायें कानों में स्थित कुण्डल, क्रमशः, शिव और पार्वती का प्रतिनिधित्व करते हुए ताण्डव एवं लास्य शैलियों में, अर्धनारीश्वर के प्रतीक हैं।